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सिटीजन रिपोर्टर
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देश में लंबे अर्से से चल रहे किसान आंदोलन को देखते हुए मोदी सरकार ने बड़ा फैसला किया है। मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है। बता दें खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज गुरु पूर्णिमा के मौके पर इसका ऐलान किया।
आपको बता दें ठीक एक साल पहले 17 सितंबर 2020 ये वो तारीख थी जब संसद में खेती से जुड़े तीनों कानून पास हो गए थे। ये वही कानून हैं जिनके विरोध में पिछले साल नवंबर से शुरू हुआ किसानो किसानों का आंदोलन अब तक जारी था।
इसमें सरकार कह रही थी कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है। किसान इस कानून के जरिये अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे और निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर पाएंगे। एपीएमसी से बाहर भी बेच पाने की अधिकार की वजह से किसानों को बिचौलियों (Middle Man) के कमीशन और मंडी टैक्स से मुक्ति मिल जाएगी जो कि पुराने सिस्टम में संभव नहीं था।
इस कानून के संदर्भ में सरकार का कहना था कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है। इसे सामान्य भाषा में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कहते है।
इसमें अनाज, तिलहन, दलहन आदि के भंडारण सीमा को खत्म कर दिया गया था। सरकार का तर्क यह था कि इससे नए गोदाम और कोल्ड स्टोरेज चेन की संख्या तेजी से बढ़ेगी और कृषि क्षेत्र में भी बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण होगा ।
Source: Aurangabad Now