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सिटीजन रिपोर्टर
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पंचायत चुनाव से ठीक पहले औरंगाबाद में 3 या उससे अधिक वर्षों से एक ही जगह पर जमे 542 सरकारी कर्मचारियों को DM सौरभ जोरवाल के आदेश से इधर उधर कर दिया गया है। 30 जून तक सभी लोगों को अपने नव पदस्थापित कार्यालय में योगदान देना होगा।
इन 542 कर्मियों में महिला पर्यवेक्षिका, कार्यपालक सहायक, लिपिक, रोजगार सेवक आदि लोग शामिल हैं। इसकी खबर Aurangabad Now ने सबसे पहले आपको दी थी।
इस आनन फानन में हुए स्थानान्तरण के बीच बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी के तहत नियोजित हुए कार्यपालक सहायकों के तबादले में नियोजन शर्तों के उल्लंघन का आरोप सामने आया है।
बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ की औरंगाबाद इकाई ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि जिला स्थापना शाखा औरंगाबाद के ज्ञापांक संख्या 405, 406 (28 जून 2021), जिला ग्रामीण विकास अभिकरण के ज्ञापांक 50 (13 जनवरी 2020), 172 (27 जून 2021) तथा जिला प्रोग्राम शाखा के ज्ञापांक 15 (27 जून 2021) के तहत RTPS, मनरेगा तथा ICDS के कार्यपालक सहायकों का स्थानांतरण जिला पदाधिकारी के द्वारा किया गया है।
संघ ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में ये भी बताया कि बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी, पटना के पत्रांक 1209 (05 जुलाई 2019) तथा पत्रांक 141(31 जुलाई 2015) के कंडिका - 6 में यह स्पष्ट वर्णित है कि कार्यपालक सहायकों का सामान्यतः स्थानांतरण नहीं किया जा सकता है लेकिन जिला पदाधिकारी द्वारा इन शर्तों को अनदेखा करते हुए संविदा पर नियोजित लगभग सभी कार्यपालक सहायकों नियमित कर्मचारियों के भांति मूल पदस्थापना कार्यालय से काफी दूर स्थानांतरित किया गया है। सहायक कार्यपालक एक अल्प मानदेय भोगी कर्मी हैं। नए स्थानांतरण के बाद इनको लंबी यात्रा करनी होगी जो इनसे संभव नहीं है। कार्यपालक सहायकों को कोई यात्रा भत्ता भी देय नहीं है।
संघ ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में स्वास्थ्य विभाग से पैनल में वापिस आये कार्यपालक सहायकों का भी जिक्र किया जिन्हें सात माह बीत जाने के बाद भी समायोजित नहीं किया गया जबकि गया जिले में यह समायोजन 29 मई 2021 को ही कर लिया गया था।
हमने बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ, औरंगाबाद इकाई के प्रेस विज्ञप्ति में वर्णित बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी, पटना के पत्रांक 1209 और 141 को टटोला तो संघ का दावा सच होता पाया गया।
पत्रांक 1209 का मामला गोपालगंज जिले का था जहां जिलाधिकारी ने RTPS और लोक शिकायत निवारण कार्यालयों में नियुक्त कार्यपालक सहायकों का स्थानांतरण भिन्न आफिस में कर दिया था जिसके संशोधन हेतु तत्कालीन अपर मिशन निदेशक डॉ. प्रतिमा ने जिलाधिकारी गोपालगंज को पत्र लिखा था।
वहीं पत्रांक 141 कार्यपालक सहायकों के नियुक्ति से संबंधित था जिसमें इनके एकरारनामा कराने से संबंधित आदेश था। प्रेस विज्ञप्ति में जिस कंडिका 6 का जिक्र किया जा रहा है वो इसी एकरारनामें में वर्णित है। हालांकि इस कंडिका में 'सामान्यतया स्थानांतरणीय' शब्द को विस्तार से वर्णित नहीं किया गया है। इसके अलावा अबतक हमें संविदा पर नियोजित कर्मियों के स्थानांतरण से संबंधित जिलाधिकारी के विशेष अधिकारों के बारे में भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं हो पायी है।
नीचे दी गयी तस्वीर में आप वो शर्त देख सकते हैं। साथ ही साथ अगर इस एकरारनामा के कंडिका 9 पर ध्यान दें तो यह संविदा नियोजन के बाद दोनों पक्षों को शर्तें मानने के बारे में भी वर्णन करता है। फिलहाल के उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर कार्यपालक सहायकों का दावा सत्य होता प्रतीत हो रहा है। हालांकि जिलाधिकारी इस मुद्दे पर क्या निर्णय लेते हैं यह देखना दिलचस्प होगा।
बिहार राज्य कार्यपालक सहायक सेवा संघ, औरंगाबाद इकाई ने जिलाधिकारी को अपनी परेशानियों के बारे में पत्र लिखकर इस मुद्दे से अवगत करवाया है। उन्होंने अपने पत्र में जिलाधिकारी से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द उनका स्थानान्तरण रद्द किया जाए।
संघ ने अपने प्रेस विज्ञप्ति में यह भी बताया है कि यदि उनकी मांगों पर विचार नहीं किया जाएगा तो वो आंदोलन करने के लिए विवश हो जाएंगे।
इस मुद्दे पर अगर आप अपनी राय रखना चाहते हैं तो नीचे कमेंट बॉक्स या हमारे सोशल मीडिया पेज पर अपनी प्रतिकिया दे सकते हैं।
Source: Aurangabad Now