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सिटीजन रिपोर्टर
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रविवार को पेट्रोल और डीजल की कीमत में फिर से 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई। इस बढ़त के साथ ही देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई हैं। औरंगाबाद में पेट्रोल की कीमत तो अब 110 रुपये प्रति लीटर को भी पार कर गई है।
Image Source: petrolpricetoday.com
35 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी के चौथे सीधे दिन ने देश भर में पेट्रोल और डीजल की दरों को रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचा दिया।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि अभी देश में पेट्रोल की कीमतें हवाई जहाज में उपयोग होने वाली विमानन टरबाइन ईंधन (ATF) से भी 30% महंगी हो गयी हैं। दिल्ली में एटीएफ की कीमत 79,020.16 रुपये प्रति किलोलीटर या 79 रुपये प्रति लीटर है। वहीं पेट्रोल का दाम 105.84 रुपये प्रति लीटर (दिल्ली में) है। इस तरह वाहन ईंधन के दाम विमान ईंधन की तुलना में करीब एक-तिहाई ज्यादा हैं।
इस वृद्धि के साथ, पेट्रोल अब सभी राज्यों की राजधानियों में 100 रुपये प्रति लीटर या उससे अधिक हो गया है, जबकि डीजल एक दर्जन से अधिक राज्यों में 100 का आंकड़ा छू चुका है। बेंगलुरु, दमन और सिलवासा में डीजल ने 100 रुपये प्रति लीटर का आंकड़ा पार किया।
सबसे महंगा ईंधन राजस्थान के सीमावर्ती शहर गंगानगर में है जहां पेट्रोल 117.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 105.95 रुपये प्रति लीटर है।
अलग अलग राज्यों में पेट्रोल और डीज़ल का प्राइस अलग अलग है क्योंकि अभी तक पेट्रोलियम पदार्थों को GST के दायरे में नहीं लाया गया है। अलग अलग राज्य की सरकारें पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स पर केंद्र सरकार के द्वारा लगाए जा रहे एक्साइज ड्यूटी के अलावा अपना VAT भी वसूलतीं हैं जिसके कारण इसकी कीमतें आसमान छू रहीं हैं।
सितंबर के आखिरी हफ्ते में रेट रिवीजन में तीन हफ्ते का लंबा अंतराल खत्म होने के बाद से पेट्रोल की कीमतों में यह 16वीं और डीजल की कीमतों में 19वीं बार बढ़ोतरी हुई है।
ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में ब्रेंट क्रूड सात साल में पहली बार 84.8 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है।
एक महीने पहले ब्रेंट 73.51 डॉलर पर कारोबार कर रहा था।
आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में जो कीमत चल रही है उसका असर भारतीय बाजार में अगले 25-30 दिन बाद दिखता है। इसका मतलब यह है कि अगले दिनों अभी पेट्रोल-डीजल में और आग लग सकती है।
सरकार का तर्क यह है कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें बाजार के हवाले है और वह कुछ नहीं कर सकती। यानी अंतरराष्ट्रीय दाम के मुताबिक तेल कंपनियां खुद ही दाम तय करती हैं। लेकिन सच यह भी है कि पेट्रोल-डीजल की कीमत में 50 फीसदी से ज्यादा हिस्सा टैक्सेज का होता है, जिसे केंद्र या राज्य सरकारें कम करने का नाम नहीं ले रही।
Source: Aurangabad Now