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सिटीजन रिपोर्टर
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सरकार अब त्रिस्तरीय पंचायतों से चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल नहीं बढ़ाएगी।
कैबिनेट की हुई बैठक में परामर्शी समिति का एक नया कॉन्सेप्ट सुझाया गया है। इसके लिए राज्य सरकार त्रिस्तरीय पंचायती राज कानून में संशोधन करेगी। बताते चलें कि 15 जून के बाद चुने हुए जनप्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है।
15 जून के बाद जब चुने हुए प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म हो जाएगा फिर पंचायती व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी परामर्शी समिति के हवाले कर दी जाएंगी। अभी तक ये स्पष्ट नहीं हुआ है कि इस समिति में कौन-कौन लोग रहेंगे। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स और अटकलों की माने तो इसमें मौजूदा जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों दोनों को शामिल किया जा सकता है। लेकिन अध्यादेश आने के बाद ही तस्वीर साफ हो पाएगी।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद पंचायती राज विभाग ने अध्यादेश की मंजूरी के लिये राज्यपाल कार्यालय का रुख किया है।
वर्तमान में कोरोना की दूसरी लहर और आने वाले महीनों में मानसून की वजह से चुनाव करवाना संभव नहीं दिखता है। अतः इससे इतना तो साफ हो गया है कि आगामी 6 महीनों तक चुनाव होने से रहे। इसी वजह से सरकार अध्यादेश लाकर कैबिनेट के निर्णय को लागू करने वाली है। इसकी जिम्मेदारी पंचायती राज विभाग को सौंप दिया गया है।
चर्चा यह भी है कि अब राज्य निर्वाचन आयोग अगले वर्ष नगर निकाय चुनाव के साथ ही त्रिस्तरीय पंचायतों का चुनाव भी कराने पर विचार कर रहा है। हालांकि, इस पर अभी अंतिम रूप से कोई निर्णय लिया गया है।
पंचायत चुनाव नहीं होने पर उसकी जगह पंचायतों में परामर्श समिति का गठन करने पर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री को नीतीश कुमार को धन्यवाद कहा है।
मंगलवार को उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा कि परामर्श समितियों में वर्तमान पंचायत सदस्यों के साथ-साथ विधायक प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जिससे गांवों का विकास बाधित नहीं होगा।
Source: jagran.com