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सिटीजन रिपोर्टर
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दक्षिण बिहार के दौरे पर निकले उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन (Shahnawaz Hussain) सोमवार की रात 10 बजे औरंगाबाद शहर के बाईपास पहुंचे।यहां उन्होंने एक प्रेसवार्ता आयोजित की। प्रेसवार्ता में मंत्री ने बिहार में उद्योग की संभावना पर विस्तृत चर्चा की। उद्योग के विकास के साथ-साथ राजनितिक मुद्दों पर भी बातचीत की।
मंत्री ने कहा कि बिहार में उद्योग की उपलब्धता को लेकर इस कोरोना काल में 35 हजार करोड़ खर्च करने का प्रस्ताव आया है। भाजपा जदयू का कार्यकाल उद्योग और रोजगार का कार्यकाल है। यहां उद्योग का माहौल बन गया है।
उन्होंने कहा कि देश भर के इन्वेस्टर से मिलकर मैं प्रदेश में उद्योग स्थापित करने का अपील किया हूँ। साथ में कहा हूँ कि आप एक बार बिहार तो आइए। इसका असर दिखाना शुरू हुआ है और इन्वेस्टर भी आने लगे हैं। लेकिन कुछ फिल्मकार और विपक्षी दलों के नेता बिहार के इमेज को बार-बार बदनाम करने की कोशिश करते हैं जबकि यह सभ्य लोगों का प्रदेश है।
उन्होंने कहा कि बिजली, सड़क, कृषि एवं सिचाई के मामले में बिहार अन्य राज्यों से काफ़ी आगे है। पिछले 15 सालों में प्रदेश का काफ़ी विकास हुआ है। लेकीन उद्योग के क्षेत्र में जो विकास होना चाहिए था वह नहीं हुआ। इसीलिए देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी ने हमें आदेश दिया है कि बिहार जाइए और वहां की यथा स्थिति से अवगत होकर उद्योग लगवाइये।
उन्होंने कहा कि यह काम कठिन है लेकिन ना मुमकिन नहीं। असंभव को संभव करेंगे और नामुमकिन को मुमकिन करेंगे। बिहार में उद्योग लगा कर दिखाएंगे। हालांकि यह मेरे अकेले की बस में नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) के नेतृत्व में यह संभव है।
14 करोड़ बिहारियों की यह मानसिकता बनाएंगे कि आपके यहां उद्योग की असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने बताया कि इसी के परिणाम स्वरूप औरंगाबाद में श्री सीमेंट जैसे फैक्ट्री चल रहे हैं।
यहां से धान सस्ते दामों पर खरीदकर आंदोलनजीवी पंजाब के मंडियों में मोटे दामों पर बिक्री कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धान शाहाबाद का और चला जाता है पंजाब। चावल जाए तो समझ में आता है लेकिन धान लेकर चले जाते हैं। इसके कारण बहुत सारी राइस मिले बंद पड़ी हैं।
उन्होंने कहा कि धान के भूसे से, सड़े हुए अनाज से मक्का से इथेनॉल (Ethanol Factory in Bihar) बनेगा। हम उद्योग भी लगाएंगे और किसानों को उनकी फसलों का उचित दाम भी देंगे। मिशन मुश्किल है लेकिन जब हम कश्मीर में सरकार बना सकते हैं तो फिर यह नामुमकिन नहीं है। नौजवानों को उद्योग से जो उम्मीद है उसे हम टूटने नहीं देंगे। नई टेक्सटाइल पॉलिसी ला रहे हैं।
एथनॉल नीति बनाने के बाद लगातार मिल रहे निवेश प्रस्तावों को देखते हुए सरकार अब कपड़ा नीति (textile policy) बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए उद्योग विभाग गुजरात टेक्सटाइल पॉलिसी का अध्ययन कर रहा है।
गुजरात में सरकार टेक्सटाइल यूनिट को कैपिटल सब्सिडी से लेकर विद्युत उपयोग सब्सिडी तक दे रही है। इसी तर्ज पर बिहार में इंटरेस्ट सब्सिडी, विद्युत सब्सिडी और लेबर सब्सिडी पर विचार कर रही है। लेकिन बिहार उद्यमी लेबर सब्सिडी देने की बात कर रहे हैं।
बिहार में चनपटिया मॉडल सफल होने के बाद भी सरकार का ध्यान टेक्सटाइल उद्योग के तरफ गया। पिछले साल कोरोना काल में बाहर से आए बिहार के टेक्सटाइल क्षेत्र में काम करने वालों ने चनपटिया में यूनिट लगाया और बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। आज बिहार से टेक्सटाइल उत्पाद देश के दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं।
टेक्सटाइल यूनिट लेबर इंसेंटिव होता है। इसलिए सरकार इसको प्राथमिकता दे रही है। बिहार के बाहर टेक्सटाइल क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की संख्या अधिक है। उन्हें अपने राज्य में ही रोजगार उपलब्ध करवाने की सरकार की योजना है।
Source: Emaa Times