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सिटीजन रिपोर्टर
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नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा करना चाहिए। इनकी विशेष पूजा कन्या के विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। कहते हैं कृष्ण को पति रूप में प्राप्त करने के लिए बृज की गोपियों ने माता कात्यायनी की पूजा की थी। माता कात्यायनी की पूजा से देवगुरु ब्रहस्पति प्रसन्न होते हैं और कन्याओं को अच्छे पति का वरदान देते हैं। मां की पूजा नीचे लिखे इस मंत्र से करना चाहिए।
चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥
कात्यायन ऋषि की तपस्या से खुश होकर मां ने पुत्री के रूप में उनके घर जन्म लिया था। इसलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां का शरीर खूबसूरत आभूषणों से सुसज्जित है। उनका वर्ण सोने के समान चमकता रहता है। मां की आराधना करने से विवाह संबंधी किसी भी प्रकार के दोष हो, वे खत्म हो जाते हैं।
इसके बाद मां कात्यायनी ने महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को इसके आतंक से मुक्त कराया। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है। इनकी चार भुजाएँ हैं। मां कात्यायनी का दाहिनी तरफ का ऊपरवाला हाथ अभयमुद्रा में तथा नीचे वाला वरमुद्रा में है। बाईं तरफ के ऊपरवाले हाथ में तलवार और नीचे वाले हाथ में कमल-पुष्प सुशोभित है। इनका वाहन सिंह है।
मां कात्यायनी को लाल रंग बेहद पसंद है। उन्हें शहद का भोग लगाया जाता है। शहद खाकर वे बहुत प्रसन्न होती है। मां का सरल मंत्र मां कात्यायनी नम: है।
मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। पौराणिक मान्यता है कि गोपियों ने श्रीकृष्ण को पाने के लिए इनकी पूजा की थी। विवाह के बाद वैवाहिक जीवन की अच्छी शुरुआत के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है।
देवीभाग्वत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा गृहस्थों और विवाह के इच्छुक लोगों के लिए बहुत ही फलदायी है। यदि वृषभ और तुला राशि के लोग मां कात्यायनी की आराधना करें तो संपूर्ण समस्याओं का निवारण हो जाएगा। दरअसल दोनों राशि के स्वामी शुक्र हैं। शुक्र विवाह और प्रेम के कारक है। मां कात्यायनी की पूजा से शुक्र ग्रह की अनुकूलता भी प्राप्त होती है।
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
इसके अलावा इस मंत्र का जाप भी कर सकते हैं।
या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
मां कात्यायनी शत्रुहंता है इसलिए इनकी पूजा करने से शत्रु पराजित होते हैं और जीवन सुखमय बनता है। जबकि मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है।
नवरात्रि के छठे दिन भक्त का मन आग्नेय चक्र पर केन्द्रित होना चाहिए। अगर भक्त खुद को पूरी तरह से मां कात्यायनी को समर्पित कर दें, तो मां कात्यायनी उसे अपना असीम आशीर्वाद प्रदान करती है। साथ ही अगर भक्त पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ मां कात्यायनी की पूजा करता है तो उसे बड़ी आसानी से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
मां कात्यायनी का मंत्रः ॐ कात्यायनी देव्यै नमः
इस मंत्र का 108 बार जाप करें।
छठें दिन का रंग : लाल या केसर का रंग
छठें दिन का प्रसादः सूजी का हलवा और ड्राई फ्रूट
Source: Ganesha Speaks