Sidebar Logo ×

Navratri 2021: माँ कालरात्रि की पूजा से होता है भय का नाश, और भी मिलेंगे लाभ

Aurangabad Now Desk

Aurangabad Now Desk

औरंगाबाद, Oct 12, 2021 (अपडेटेड Oct 12, 2021 2:24 PM बजे)

देवी दुर्गा का सातवां रूप कालरात्रि का है जिनकी पूजा नवरात्रि में सातवीं तिथि को किया जाता है। माता कालरात्रि आज्ञा चक्र से सहस्रार चक्र के मध्य की शक्ति है, जो नकारात्मकता का नाश करने वाली हैं। कालरात्रि के बोध से समस्त ग्रह-बाधाएं स्वमेव नष्ट हो जाती हैं। अग्नि-भय, जल-भय, जंतु-भय, शत्रु-भय, रात्रि-भय छू-मंतर हो जाते हैं। यम, नियम, संयम का पूर्ण पालन कर जो जीव मन, वचन, काया की पवित्रता कायम रखते हुए कालरात्रि को स्वयं में जागृत कर लेते हैं, कालरात्रि उनके लिए शुभंकारी हो जाती हैं। इनके शुभों की गणना नहीं की जा सकती।

मां कालरात्रि का मंत्र

एक वेणी जपाकरर्णपूरा नग्ना खरास्थित ।

लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभयुक्तशरीरिणी ।।

वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा।

वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकारी।।

नवरात्र के सप्तम दिवस में पूजित मां कालरात्रि मानव के भीतर विद्यमान सप्तम शक्ति केंद्र है। कालरात्रि मुख्यतः योगहृदय यानी आज्ञा चक्र का उच्चतम बल है, जो सुखमन की झीनी नाल से सहस्त्रार चक्र के निचले हिस्से तक विस्तारित है। कहीं-कहीं इसे सहस्त्रार का निचला बल भी कहा गया है। यह हिस्सा जागृत होने पर जीव जगत से परे हटने लगता है। स्वयं में कालरात्रि के जागरण से एक नई सुबह का आग़ाज़ होता है, एक नया सबेरा प्रस्फुटित होता है।

कालरात्रि जो अपने शस्त्र कृपाण से हमारे बंधनों को काटकर, निरंजन यानी काल पुरुष (समय) जिन्हें इस जगत का ईश्वर भी कहा जाता है, की सहमति और कृपा प्रदान करके जीवात्मा को इस स्थूल शरीर से परे जाने के लिए प्रेरित करती है। मां कालरात्रि के जागरण से सहस्रार चक्र में हलचल होने लगती है और ब्रह्मांड के समस्त द्वार स्वमेव खुलने लगते हैं।

देवी कालात्रि को ही भैरवी, रुद्रानी, चामुंडा, चंडी, रौद्री और धुमोरना भी कहा जाता है। कालरात्रि अगर सुप्त हों, तो जीवन में ढेरों नए उपद्रव उत्पन्न होते हैं। अनेकानेक महामारियों का प्राकट्य, भौतिक समृद्धि का अभाव, वैचारिक दरिद्रय और अनेकानेक संकटों का कारण देह में अजागृत कालरात्रि हैं। कालरात्रि का बोध और जागरण कलयुग में भी सतयुग जैसी परिस्थितियों का कारक बनता है। समस्त विकार, अकाल और नकारात्मक ऊर्जाएं अंतर्मन में कालरात्रि के प्राकट्य से पलायित हो जाते हैं। देवी कालरात्रि का अर्थ आद्या महाशक्ति नहीं है, बल्कि कालरात्रि अर्ध्य चेतना से प्रकट परंतु पृथक ऊर्जा है।

Source: Navbharat Times

औरंगाबाद, बिहार की सभी लेटेस्ट खबरों और विडियोज को देखने के लिए लाइक करिए हमारा फेसबुक पेज , आप हमें Google News पर भी फॉलो कर सकते हैं।
Subscribe Telegram Channel
Loading Comments