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सिटीजन रिपोर्टर
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औरंगाबाद व अरवल जिले के सीमा क्षेत्र में स्थित अति प्राचीन स्थल देवकुंड धाम कई वर्षों से गलत सीमांकन के वजह से उपेक्षित है। उक्त बातें देवकुंड मठाधीश कन्हैया नंद पुरी ने कहा। रविवार को देवकुंड मंदिर परिसर में औरंगाबाद जिला के द्वारा विकास में उपेक्षित देवकुंड धाम को अरवल जिला में समाहित होने व देवकुंड धाम के विकास संबंधी तथ्यों पर विचार विमर्श के लिए बैठक का आयोजन किया गया।
इसकी अध्यक्षता मठाधीश कन्हैया नंद पुरी व संचालन पूर्व मुखिया रामकृपाल विश्वकर्मा ने किया। इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए अरवल बासपा जिलाध्यक्ष मनोज सिंह यादव ने कहा कि भौगोलिक दृष्टिकोण से पूरी तरह अरवल जिले पर यह निर्भर है क्योंकि देवकुंड बाजार के चारों तरफ का क्षेत्र अरवल जिले से घिरा हुआ है लेकिन औरंगाबाद जिले के अंग होने के कारण यहां न तो इस जिले की पुलिस सुरक्षा व्यवस्था कर पाती है और नहीं जिला प्रशासन विकास कार्यों के में दिलचस्पी लेती है।
उन्होंने कहा कि प्रखंड, अनुमंडल तथा जिला संबंधित कार्यों के लिए उन्हें लंबी दूरी तय करना पड़ता है। यहां से अरवल जिला मुख्यालय की दूरी महज 24 किलोमीटर है जबकि देवकुंड बाजार औरंगाबाद जिले का अंग है। जिला मुख्यालय औरंगाबाद से 60 किलोमीटर, अनुमंडल दाऊद नगर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी होने के कारण वरीय अधिकारी इलाके का जायजा लेना मुनासिब नहीं समझते हैं जिसका असर विकास पर पड़ रहा है। यहां विकास के लिए सभी तरह के संसाधन मौजूद हैं इतने संसाधन के बावजूद भी देवकुंड का विकास अवरुद्ध है जो चिंता का विषय है।
इस मौके पर हथियारा मुखिया विनोद मेहता, सरपंच नरेश साव, राजद नेता श्याम सुंदर, पैक्स अध्यक्ष उमाशंकर यादव, पूर्व मुखिया राजेश्वर सिंह, शिक्षक राकेश रंजन, भाकपा नेता कृष्ण नंदन सिंह, श्रीकांत चंद्रवंशी, प्रमोद कुमार, संजय गिरी, अक्षय पटेल सहित दर्जनों लोग मौजूद थे।
Source: Dainik Bhaskar