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माँ स्कंदमाता की पूजा करने से होगी संतान की प्राप्ति और बढ़ जाएंगे ज्ञान के भंडार

Aurangabad Now Desk

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औरंगाबाद, Oct 09, 2021 (अपडेटेड Oct 09, 2021 11:42 PM बजे)

स्कंदमाता की उपासना से श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इनकी पूजा से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं। शास्त्रों के अनुसार, इनकी कृपा से मूर्ख भी विद्वान बन सकता है।

स्कंदमाता पहाड़ों पर रहकर सांसारिक जीवों में नवचेतना का निर्माण करने वालीं हैं। कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। इनकी उपासना से सारी इच्छाएं पूरी होने के साथ भक्त को मोक्ष मिलता है। मान्‍यता भी है कि इनकी पूजा से संतान योग बढ़ता है।

अभय मुद्रा के चलते बनीं पद्मासना

कार्तिकेय को देवताओं का कुमार सेनापति भी कहा जाता है। कार्तिकेय को पुराणों में सनत-कुमार, स्कंद कुमार आदि के रूप में जाना जाता है। मां अपने इस रूप में शेर पर सवार होकर अत्याचारी दानवों का संहार करती हैं।

पर्वतराज की बेटी होने से इन्हें पार्वती कहते हैं। भगवान शिव की पत्नी होने के कारण एक नाम माहेश्वरी भी है। गौर वर्ण के कारण गौरी भी कही जाती हैं। मां कमल के पुष्प पर विराजित अभय मुद्रा में होती हैं इसलिए इन्‍हें पद्मासना देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा भी कहा जाता है।

पूजा विधि

  • सूर्योदय से पहले उठकर पहले स्‍नान कर स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण करें।
  • अब मंदिर या पूजा स्थल में चौकी लगाकर स्‍कंदमाता की तस्‍वीर या प्रतिमा लगाएं।
  • गंगाजल से शुद्धिकरण कर कलश में पानी लेकर कुछ सिक्‍के डालकर चौकी पर रखें।
  • पूजा का संकल्‍प लेकर स्‍कंदमाता को रोली-कुमकुम लगाकर नैवेद्य अर्पित करें।
  • धूप-दीपक से मां की आरती उतारें और प्रसाद बांटें. स्‍कंदमाता को सफेद रंग पसंद होने के चलते सफेद कपड़े पहनकर मां को केले का भोग लगाएं।
  • मान्‍यता है इससे उपासक निरोगी बनता है।

इस मंत्र का जाप कर लगाएं ध्यान

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।

धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।

अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।

कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्‍कंदमाता

पांचवा नाम तुम्हारा आता

सब के मन की जानन हारी

जग जननी सब की महतारी

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं

हरदम तुम्हें ध्याता रहूं मैं

कई नामों से तुझे पुकारा

मुझे एक है तेरा सहारा

कही पहाड़ों पर हैं डेरा

कई शहरों में तेरा बसेरा

हर मंदिर में तेरे नजारे

गुण गाये तेरे भगत प्यारे

भगति अपनी मुझे दिला दो

शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो

इंद्र आदी देवता मिल सारे

करे पुकार तुम्हारे द्वारे

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आएं

तुम ही खंडा हाथ उठाएं

दासो को सदा बचाने आई

‘चमन’ की आस पुजाने आई

Source: ABP News

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