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Navratri 2021 के तीसरे दिन ही होगी माँ कूष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन विधि, कथा, मंत्र और आरती
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Navratri 2021 के तीसरे दिन ही होगी माँ कूष्मांडा की पूजा, जानिए पूजन विधि, कथा, मंत्र और आरती

Aurangabad Now Desk

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औरंगाबाद, Oct 09, 2021 (अपडेटेड Oct 09, 2021 11:17 PM बजे)

नवरात्रि के तीसरे दिन ही है तृतीया और चतुर्थी 

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा पूजा की जाती है, लेकिन इस साल तीसरे दिन ही तृतीया और चतुर्थी पड़ रही है, जिस वजह से मां के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा- अर्चना आज होगी। जो भक्त कुष्मांडा की उपासना करते हैं, उनके समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं।

आपको बता दें, धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता कूष्मांडा ने ही ब्रहांड की रचना की थी। इन्हें सृष्टि की आदि- स्वरूप, आदिशक्ति माना जाता है। 

मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है।

मां कूष्मांडा सूर्यमंडल के भीतर के लोक में निवास करती हैं। मां के शरीर की कांति भी सूर्य के समान ही है और इनका तेज और प्रकाश से सभी दिशाएं प्रकाशित हो रही हैं। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं।

मां को अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। इनके सात हाथों में क्रमशः कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में जपमाला है। मां सिंह का सवारी करती हैं।

माँ कूष्माण्डा की पूजन विधि

  • सुबह उठकर सबसे पहले स्नान कर लें।
  • साफ- सुधरे कपड़े पहन लें।
  • इसके बाद मां कूष्मांडा का ध्यान कर उनको धूप, गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे और सौभाग्य का सामान अर्पित करें।
  • फिर मां कूष्मांडा को हलवे और दही का भोग लगाएं। आप फिर इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर सकते हैं।
  • मां का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • पूजा के अंत में मां की आरती करें।

माँ कुष्मांडा को मालपुए का लगाएं भोग

मां कुष्मांडा लगाए गए भोग को प्रसन्नता पूर्वक स्वीकार करती हैं। यह कहा जाता है कि मां कुष्मांडा को मालपुए बहुत प्रिय हैं इसीलिए उन्हें मालपुए का भोग लगाया जाता है।

कूष्मांडा मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

मां कूष्मांडा आरती

चौथा जब नवरात्र हो, कूष्मांडा को ध्याते।

जिसने रचा ब्रह्मांड यह, पूजन है उनका।।

आद्य शक्ति कहते जिन्हें, अष्टभुजी है रूप।

इस शक्ति के तेज से कहीं छांव कहीं धूप॥

कुम्हड़े की बलि करती है तांत्रिक से स्वीकार।

पेठे से भी रीझती सात्विक करें विचार॥

क्रोधित जब हो जाए यह उल्टा करे व्यवहार।

उसको रखती दूर मां, पीड़ा देती अपार॥

सूर्य चंद्र की रोशनी यह जग में फैलाए।

शरणागत की मैं आया तू ही राह दिखाए॥

नवरात्रों की मां कृपा कर दो मां

नवरात्रों की मां कृपा करदो मां॥

जय मां कूष्मांडा मैया।

जय मां कूष्मांडा मैया॥

Source: Aurangabad Now

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