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सिटीजन रिपोर्टर
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औरंगाबाद जिला में वर्ष 2022 में आगामी रामनवमी पर्व को शांतिपूर्ण एवं सौहार्दपूर्ण माहौल में संपन्न कराने हेतु वर्ष 2018 में प्रतिवेदित सांप्रदायिक कांडों के आधार पर उस वर्ष के सांप्रदायिक कांडों के अभियुक्तों को जिला बदर करने की अनुशंसा की गई है।
गौरतलब हो कि वर्ष 2018 में सांप्रदायिक कांडों के अभियुक्तों में से 25 नामजद अभियुक्तों को बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 03(CCA 3) के तहत निरुद्ध करने हेतु प्रस्ताव अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, सदर औरंगाबाद द्वारा 25 अभियुक्तों के वर्तमान स्थिति का भौतिक सत्यापन कराते हुए अपनी अनुशंसा के साथ समर्पित किया गया है। प्रतिवेदन में यह बताया गया है कि इनके व्यवहार एवं आचरण से हमेशा लोक शांति भंग होने का खतरा बना रहता है। अतः इन्हें जिलाबदर कर निरोधात्मक कारवाई की जानी चाहिए।
उक्त समर्पित प्रस्ताव को पुलिस अधीक्षक द्वारा अपनी अनुशंसा के साथ प्रेषित करते हुए जिला दंडाधिकारी के अनुरोध किया गया है कि इन 25 अभियुक्तों को बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम की धारा 03 के तहत निरुद्ध किया जाए।
जिला बदर का आसान भाषा में मतलब है कि किसी व्यक्ति को एक जिले से दूसरे जिले में भगा देना या अपने जिस जिले में वह है उस जिले से उसको प्रतिबंधित कर देना। अगर प्रशासनिक शब्द के रूप में समझें तो जिला बदर से मतलब वह प्रशासनिक कार्यवाही है जिसमें आपराधिक प्रवृत्तियों में लिप्त व्यक्तियों को कुछ निर्धारित समय के लिए जिले से बाहर कर दिया जाता है। यह कार्यवाही जिला के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दी गई अनुशंसा पर जिला कलेक्टर (दंडाधिकारी) के द्वारा की जाती है।
आम तौर पर चुनाव के समय या किसी बड़े आयोजन के पहले ऐसा किया जाता है। मतलब कोई भी व्यक्ति जो आदतन अपराधी है, जो हमेशा अपराध करता ही है तो ऐसे व्यक्ति को किसी विशेष टाइम के लिए जैसे 2 महीने 1 महीने या 4 महीने के लिए उस जिले से बाहर आदेश कर दिया जाता है कि आप कहीं भी रहे लेकिन इस जिले में ना रहें अन्यथा पर आप कार्रवाई की जाएगी या आपको जेल भेज दिया जाएगा।
Source: Aurangabad Now