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सिटीजन रिपोर्टर
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औरंगाबाद जिले मे लोग अब अपने बच्चों की जरूरतों को कैसे समझें, बच्चों के साथ सार्थक समय कैसे बिताएँ, बच्चों के पालन पोषण के लिए घर का माहौल कैसा होना चाहिए आदि गुण को आईसीडीएस और सीएलआर के सजग अभियान के माध्यम से सीख रहे हैं।
पिछले वर्ष जब कोरोना महामारी के दौरान आंगनवाड़ी केन्द्रों पर बच्चों का आना बंद हो गया तब बच्चों के द्वारा रोज की जाने वाली गतिविधियाँ भी बंद सी हो गयी। बच्चे भी घर मे ही बंद रहने लगे जिससे उन्हे भी बेचैनी होने लगी।
6 जून 2020 को गया और पूर्णिया जिले मे और 25 सितम्बर से बिहार राज्य के सभी 38 जिले मे बिहार सरकार के आईसीडीएस विभाग ने सीएलआर नाम की पुणे की एक संस्था के साथ मिलकर सजग अभियान कार्यक्रम की शुरुआत की।
इस कार्यक्रम में, बच्चों का पालन पोषण किस तरह किया जाय, इस विषय पर छोटे-छोटे ऑडियो संदेशों को व्हात्सप्प के माध्यम से आईसीडीएस निदेशालय को भेजा जाता है। फिर निदेशालय से जिला डीपीओ, जिला DPO से सीडीपीओ, CDPO से सुपरवाईजर और फिर सुपरवाइजर से आंगनवाड़ी सेविका तक भेजा जाता है।
सेविकाओं के द्वारा इन संदेशों को अभिभावकों तक पहुंचा कर उस पर चर्चा किया जा रहा है। यह संदेश अभिभावकों तक प्रभावी ढंग से पहुँच सके इसके लिए जिले के डीपीओ और सीडीपीओ भी क्षेत्र भ्रमण के दौरान सेविका दीदी के साथ अभिभावकों को ऑडियो सुनाते हैं साथ ही उस पर चर्चा भी करते हैं।
डीपीओ और सीडीपीओ के द्वारा इस तरह से ऑडियो को सुनाते देख कर सेविका दीदी को भी बहुत प्रेरणा मिलती है। जिले के कुछ अभिभावक कहते हैं की इस ऑडियो को सुनने के बाद उन्होने मारने और डांटने के तरीकों पर विचार करना शुरू कर दिया है, अब यह समझ मे आने लगा है की बच्चे भी इस महामारी में बेचैन हैं और उनकी बेचैनी उनसे बात करके ही समाप्त किया जा सकता है। गया और पूर्णिया जिले में अब तक 23 और बाकी के 36 जिलों मे 12 सजग संदेश पहुँच गए हैं।
25 सितंबर 2021 को सजग कार्यक्रम के एक साल पूरे होने जा रहे है। इस अवसर पर बिहार के सभी जिलों में ऑनलाईन चौपाल का आयोजन किया जाएगा जिसमें डीपीओ, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षिका एवं सेविका जुड़कर सजग के एक साल के सफर और इससे मिले अनुभवो एवं चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
Source: Aurangabad Now