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सिटीजन रिपोर्टर
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केंद्र सरकार की योजना के तहत औरंगाबाद के रसोई गैस उपभोक्ताओं को घर-घर पाइप लाइन के जरिए पीएनजी गैस उपलब्ध कराने के लिए बुधवार को पंजीयन का काम प्रारंभ हो गया।
सांसद सुशील कुमार सिंह और इंडियन आयल के वरिष्ठ अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने एक सादे समारोह में इसकी शुरुआत की। इस अवसर पर सांसद ने कहा कि घर-घर पाइपलाइन के जरिए रसोई गैस पहुंचाने के लिए गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (गेल) ने लोगों को पीएनजी कनेक्शन देने का काम शुरू कर दिया है। श्री सिंह ने कहा कि इससे पर्यावरण को शुद्ध तथा स्वच्छ रखने में मदद मिलेगी और यह एलपीजी की तुलना में सस्ता भी होगा।
औरंगाबाद जैसे शहर में पाइप लाइन से गैस की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पेट्रोलियम मंत्रालय को धन्यवाद दिया।
श्री सिंह ने कहा कि घरेलू सिलिंडर इस्तेमाल करने वाले सामान्य परिवारों को इसके लिए माह में आठ सौ से नौ सौ रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। इसमें रिफिल कराने समेत अन्य खर्च भी जुड़ते हैं, लेकिन पीएनजी लाइन बिछने के बाद उपभोक्ताओं को इससे निजात मिलेगी।
गैस पाइप लाइन सीधे उपभोक्ताओं की रसोई तक जाएगी। खर्च का आंकलन करने के लिए हर घर में मीटर लगाया जाएगा। इसके बाद उपभोक्ता जितना इस्तेमाल करेंगे, उन्हें उतने का का ही भुगतान करना होगा। कहा कि एक अनुमान के मुताबिक जिन घरों में औसत आठ सौ से नौ सौ रुपये तक का खर्च आता है, उन्हें पाइप लाइन से गैस इस्तेमाल करने के बाद पांच सौ से छः सौ रुपये तक ही खर्च करने पड़ेंगे।उन्होंने कहा कि ऐसे विकास कार्य ऊर्जा की नई किरण का संचार करते हैं।
इंडियन आयल के वरिष्ठ अधिकारी पवन कुमार सिन्हा ने कहा कि औरंगाबाद में घर-घर पाइप लाइन से गैस पहुंचाने का काम जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। गैस का उपयोग करने के लिए लोगों को निबंधन करवाना होगा जिसकी शुरुआत बुधवार से हो गयी है। निबंधित घरों में गैस का खपत मापने के लिए मीटर लगाए जाएंगे। अक्टूबर महीने से गैस की आपूर्ति शुरू होने के आसार हैं। इसके लिए कुसी गांव में गैस का सबस्टेशन भी बनाया गया है।
गौरतलब है कि औरंगाबाद बिहार के उन गिने-चुने जिलों में शामिल है जहां पाइप लाइन से रसोई गैस की सुविधा सुलभ कराई जायेगी।
पीएनजी यानी कि पाइप्ड नेचुरल गैस। इस नेचुरल गैस को उद्योगों या घर तक पाइप के जरिये पहुंचाया जाता है। पीएनजी गैस घरेलू गैस (एलपीजी) की तुलना में 30 प्रतिशत सस्ती होती है। पीएनजी केवल 515 परसेंट तक हवा के साथ मिलने होने पर ही आग पकड़ती है, जबकि एलपीजी यदि 2 फीसद या उससे अधिक हवा के साथ मिल हो जाए तो भी आग पकड़ लेती है।
पीएनजी हवा से हल्की होती है, इसलिए रिसाव के दौरान यदि हवा का दबाव सही हो, तो यह ऊपर उठकर हल्की हवा में गायब हो जाती है। लेकिन एलपीजी भारी होती है, इसलिए नीचे की ओर फर्श की सतह पर जम जाती है। एलपीजी की बड़ी मात्रा को लिक्विड रूप में सिलेंडर में जमा किया जाता है जिसके कारण इसमें दबाव अधिक होता है जबकि घरेलू पीएनजी सुरक्षित होती है, क्योंकि आपके आसपास लगाए गए पीएनजी प्लांट में पीएनजी का दबाव सीमित होता है। इससे किसी खतरे की संभावना नहीं होती।
Source: Aurangabad Now