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सिटीजन रिपोर्टर
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सब ठीक रहा तो औरंगाबाद में शिक्षण संस्थानों के दिन अब बदलने वाले हैं। आकांक्षी जिला कार्यक्रम के तहत औरंगाबाद जिले में शिक्षा के क्षेत्र में विकास हेतु 3 करोड़ की कार्य योजना तैयार कर प्रस्ताव विभाग को भेजा गया है। इसका उद्देश्य औरंगाबाद जिले में शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता एवं सूचकांक में वृद्धि लाना एवं विद्यालयों में स्मार्ट क्लासरूम, इंटरनेट कनेक्टिविटी एवं लाइब्रेरी सहित अन्य सुविधाओं को स्थापित किया जाना है। इस प्रोजेक्ट से जिले के लगभग 50 हजार छात्र छात्राओं को लाभान्वित किया जाएगा।
योजना के तहत जिले में लगभग एक करोड़ 26 लाख रुपए की लागत से कुल 13 स्मार्ट लर्निंग सेंटर्स को विकसित किया जाएगा। इसके तहत कंप्यूटर सिस्टम, इंटरनेट कनेक्टिविटी, स्मार्ट बोर्ड एंड एसेसरीज, वीडियो लेक्चरर्स एंड एसेसरीज, स्मार्ट लाइब्रेरी, लैब अटेंडेंट्स आदि की व्यवस्था की जाएगी। इसके लिए लगभग एक करोड़ 26 लाख रुपए की लागत आएगी जिसे आकांक्षी जिला योजना अंतर्गत पूर्ण किया जाएगा। इसके अतिरिक्त जिला मुख्यालय में एक वातानुकूलित सेंट्रल लाइब्रेरी/केंद्रीय पुस्तकालय का निर्माण किया जाएगा। इसकी लागत 80 लाख रुपए रखी गई है। इसके तहत बुक सेल्फ, एयर कंडीशनर, टेबल एवं चेयर, अलमीरा, इंटरनेट कनेक्टिविटी, डेस्कटॉप एंड एक्सेसरीज, वाटर कूलर, डिस्प्ले स्टैंड एवं अन्य सामग्री शामिल है।
इसके अतिरिक्त जिले के 175 विद्यालयों में 35 लाख रुपए की लागत से बुक सेल्फ एवं प्राथमिक विद्यालयों में प्रथम बुक किट आदि की व्यवस्था कराई जाएगी। इसके अलावा लगभग 26 लाख रुपए की लागत से प्रत्येक प्रखंड के 5 डेमो विद्यालयों में प्रथम एवं द्वितीय कक्षा के लिए बेंच एवं डेस्क की व्यवस्था कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त लगभग 74 लाख रुपए की लागत से प्रत्येक प्रखंड के 5 डेमो विद्यालयों में तृतीय, चतुर्थ एवं पांचवी कक्षा के लिए बेंच एवं डेस्क की व्यवस्था कराई जाएगी।
इसके अतिरिक्त 27.5 लाख रुपए की लागत से प्रत्येक प्रखंड के 5 डेमो विद्यालयों में Building as Learning Aid (BaLA) पेंटिंग की रचना कराई जाएगी। साथ ही दीवारों की रिपेयरिंग, वाइट वाशिंग आदि कार्य कराए जायेंगे। साथ ही साथ बाला योजना के तहत प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षकों का प्रशिक्षण भी शिक्षा विभाग द्वारा कराया जाएगा। यह जानकारी डीपीआरओ कृष्णा कुमार ने दी है।
बाला (Building as Learning Aid) स्कूल के बुनियादी ढांचे की समग्र रूप से योजना बनाने और उसका उपयोग करने का एक तरीका है। इसमें विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (CWSN) के लिए गतिविधि आधारित शिक्षा, बाल मित्रता और समावेशी शिक्षा के विचार शामिल हैं। इसके अंतर्गत विद्यालय के भवनों को बच्चों को पढ़ाने और सीखने के एक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करना है।
चूंकि भवन किसी स्कूल की सबसे महंगी भौतिक संपत्ति हैं, इसलिए उनसे अधिकतम शैक्षिक मूल्य प्राप्त करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
इसमें बच्चों की शिक्षा को रचनात्मक बनाने के लिए विद्यालय के भवनों के आकृतियों में परिवर्तन, दीवारों पर पेंटिंग आदि किया जाता है ताकि स्कूल की जगह में विभिन्न प्रकार की सीखने का माहौल बनाया जा सके।
Source: Liveindianews18