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सिटीजन रिपोर्टर
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हर साल धान की फसल कटने के बाद किसान फसल अवशेष (पराली) को खेतों में ही जला देते हैं। इससे काफी मात्रा में वायु प्रदूषण होता है। लेकिन पराली का कोई उचित और सस्ता निदान ना होने के कारण किसान इसे जलाने को विवश हैं।
इस साल भी अब धान की फसल कटने लगी है। वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ नित्यानंद ने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र, सिरिस में चल रही जलवायु अनुकूल कृषि कार्यक्रम के अन्तर्गत केन्द्र में स्ट्रा बेलर मशीन आया हुआ है जिसका इस्तेमाल करके किसान भाई पुआल जलाने के बजाय उसे आय का जरिया बना सकते हैं।
पुआल प्रबंधन में उपयोगी कृषि यंत्र स्ट्रा बेलर का काम धान के फसल की कटाई के बाद अगली फसल की बुआई के पहले शुरू हो जाता है क्योंकि बीज डालने से पहले पराली निकालना आवश्यक होता है। मजदूरों की सहायता से पराली निकालने के बजाए इस मशीन के माध्यम से किसान पराली को आसानी से और कम खर्च में निकाल सकते हैं।
Image: स्ट्रा बेलर से पराली प्रबंधन की जानकारी देते हुए वैज्ञानिकगण
इस मशीन से पराली का झंझट भी निकल जाता है और आमदनी का एक नया विकल्प भी मिलता है। इस मशीन से फसल अवशेष का गांठ बनाकर उनका प्रबंधन कर दिया जाता है। गांठ बनने के बाद पराली या यूं कहें पुआल काफी दिनों तक सुरक्षित रहता है। अगर जरूरत पड़े तो इसे जानवर के चारे के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है। इससे एक स्थान से दूसरे पर लाने ले जाने में भी आसानी होती है।
किसान भाई इस मशीन के माध्यम से फसल अवशेष का सही प्रबंधन करके समय से अगली फसल की बुआई कर सकते हैं और अपना उत्पादन बढ़ा सकते हैं।
डॉ नित्यानंद ने कहा कि इस मशीन से बनी धान की पराली की बंडल (गाठ) को यदि किसान भाई अपने पास भंडारित नहीं कर सकते हैं तो वो उसे कृषि विज्ञान केंद्र को भी बेच सकते हैं। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए 9430949800 नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।
डॉ अनूप कुमार चौबे, कृषि मौसम वैज्ञानिक बताते हैं कि धान की कटाई और गेहूं की बुआई की अवधि के बीच बहुत अधिक अंतर नहीं रहता है। यदि बुआई में देरी होती है, तो गेहूं का उत्पादन काफी कम हो जाता है। खेतों को जल्दी तैयार करने के लिए किसान पराली को जलाते हैं।
पराली को जलाने के अलावा किसानों के पास के कई अन्य विकल्प भी मौजूद हैं। एक तरीका है बेलिंग। आप खेत से पुआल निकालने के लिए मशीन बेलर का उपयोग करके गांठें बना सकते हैं।
यदि पुआल को नहीं हटाया जाता है, तो किसानों को धान के भूसे के इन-सीटू प्रबंधन का विकल्प चुनना होगा (अर्थात खेत में रहते हुए धान की पुआल का प्रबंधन)।
एक हैप्पी सीडर का विकल्प भी है। ये एक ऐसा मशीन है जिसे खड़े धान में बुआई करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सुपर सीडर एक अन्य विधि है जिसका उपयोग गेहूं की बुआई को सुविधाजनक बनाने के लिए किया जा सकता है।
धान की पराली को नष्ट करने के लिए पूसा डीकंपोजर का भी प्रयोग किया जा सकता है, जो बाकी तरीकों में सबसे आसान है।
Source: Aurangabad Now