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सिटीजन रिपोर्टर
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छठ पर्व से करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। कार्तिक मास में भगवान सूर्य की पूजा की परंपरा है। शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को इस पूजा का विशेष विधान है।
इस पूजा की शुरुआत मुख्य रूप से बिहार और झारखण्ड से हुई जो अब देश-विदेश तक फैल चुकी है। अंग देश के महाराज कर्ण सूर्य देव के उपासक थे, इसलिए परंपरा के रूप में सूर्य पूजा का विशेष प्रभाव इस इलाके पर दिखता है।
कार्तिक मास में सूर्य अपनी तुला राशि में होता है, इसलिए सूर्य देव की विशेष उपासना की जाती है ताकि स्वास्थ्य की समस्याएं परेशान ना करें। षष्ठी तिथि का सम्बन्ध संतान की आयु से होता है, इसलिए सूर्य देव और षष्ठी की पूजा से संतान प्राप्ति और उसकी आयु रक्षा दोनों हो जाती है। इस माह में सूर्य उपासना से वैज्ञानिक रूप से हम अपनी ऊर्जा और स्वास्थ्य का बेहतर स्तर बनाए रख सकते हैं।
यह पर्व कुल मिलाकर चार दिनों तक चलता है। इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को अरुण वेला में इस व्रत का समापन होता है। कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन से स्वच्छता की स्थिति अच्छी रखी जाती है।
पहले दिन लौकी और चावल का आहार ग्रहण किया जाता है।
दूसरे दिन को लोहंडा-खरना कहा जाता है। इस दिन लोग उपवास रखकर शाम को खीर का सेवन करते हैं। खीर गन्ने के रस की बनी होती है। इसमें नमक या चीनी का प्रयोग नहीं होता है।
तीसरे दिन उपवास रखकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। साथ में विशेष प्रकार का पकवान ठेकुआ और मौसमी फल चढ़ाया जाता है। अर्घ्य दूध और जल से दिया जाता है।
चौथे दिन बिल्कुल उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का समापन किया जाता है।
इस बार 8 नवंबर को नहाए-खाए से छठ पूजा की शुरुआत होगी। 9 नवंबर को खरना होगा। पहला अर्घ्य 10 नवंबर को संध्याकाल में दिया जाएगा और अंतिम अर्घ्य 11 नवंबर को अरुणोदय में दिया जाएगा।
जिन लोगों को संतान न हो रही हो या संतान होकर बार बार समाप्त हो जाती हो ऐसे लोगों को इस व्रत से अदभुत लाभ होता है। अगर संतान पक्ष से कष्ट हो तो भी ये व्रत लाभदायक होता है। अगर कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की गंभीर समस्या हो तो भी इस व्रत को रखना शुभ होता है। जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति ख़राब हो अथवा राज्य पक्ष से समस्या हो ऐसे लोगों को भी इस व्रत को जरूर रखना चाहिए।
ये व्रत अत्यंत सफाई और सात्विकता का है। इसमें कठोर रूप से सफाई का ख्याल रखना चाहिए। घर में अगर एक भी व्यक्ति छठ का उपवास रखता है तो बाकी सभी को भी सात्विकता और स्वच्छता का पालन करना पड़ेगा। व्रत रखने के पूर्व अपने स्वास्थ्य की स्थितियों को जरूर देख लें।
Image: देव सूर्य कुंड में बैरिकेडिंग
छठ पूजा को लेकर जिला प्रशासन ने गाइडलाइन जारी किया है उसके तहत व्यवस्था की जा रही है। जगह जगह बैरिकेडिंग का कार्य जारी है। वहीं सूर्यमंदिर, सूर्य कुंड तालाब के आसपास के गलियों में लाइट लग चुके हैं। तालाब एवं मंदिर के पास लगे हाइमास्क लाइट को भी दुरुस्त कर चालू कर दिया गया है। बिजली विभाग भी निरंतर निर्बाध बिजली आपूर्ति को लेकर कमर कस लिया है। श्रद्धालुओ एवं व्रतियों को गहरे पानी से बचाने के लिए तालाब में बैरिकेडिंग की गई है।
Source: Aajtak