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कृषि का भविष्य है जलवायु अनुकूल खेती! कृषि विज्ञान केंद्र सिरिस में वैज्ञानिकों ने की चर्चा

Aurangabad Now Desk

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सिरिस, औरंगाबाद, Mar 05, 2022 (अपडेटेड Mar 05, 2022 11:18 AM बजे)

कृषि विज्ञान केंद्र, सिरिस, औरंगाबाद में कल (4 मार्च 2022 को) प्रखण्ड स्तरीय कृषक वैज्ञानिक वार्तालाप एवं प्रक्षेत्र भ्रमण का आयोजन किया गया। कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. अनूप कुमार चौबे जी ने बताया कि यह प्रशिक्षण सह प्रक्षेत्र भ्रमण कार्यक्रम दिनांक 21 फरवरी 2022 से प्रारम्भ होकर 8 मार्च 2022 तक चलेगा। इसमें औरंगाबाद जिला के प्रत्येक प्रखंडों से 100 किसान आते हैं।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ नित्यानंद ने कृषि एवं कृषि संबंधित क्षेत्र में पड़ने वाले जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक तापमान में 2 से 2.5 डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोत्तरी होने वाली है जिसके प्रभाव से धान, गेंहू चना, मसूर आदि फसलों की उत्पादन में 40 से 50% तक की कमी हो सकती है। इन्ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को देखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि प्रणाली परियोजना के चयन किया गया था।

उन्होंने कहा कि कृषि में सबसे महत्त्वपूर्ण समय होता है। अगर सही समय पर किसान खेती न करे तो उनके उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। समय से पीछे खेती करने से फसल का उत्पादन कम होता है। उन्होंने किसानों को खेती के दौरान आने वाली समस्याओं व उसके निदान के बारे में भी जानकारी दी।

खेती के दौरान आने वाली समस्याओं जैसे कि धान का बीचड़ा लगाने का सही समय -

  • अगर धान की लम्बी अवधि वाली प्रजातियों का 25-30 दिन का बीचड़ा है तो 1, 30 से 35 दिन का है तो 2, 35 से 40 दिन का है तो 3, और 40 दिन से अधिक का है तो 4 पौधा एक साथ लगाएं।
  • मध्यम अवधि वाली प्रजातियों का 22-25 दिन का बीचड़ा है तो 1, 25 से 30 दिन का है तो 2, 30 से 35 दिन का है तो 3, और 35 दिन से अधिक का है तो 4 पौधा एक साथ लगाए।

खेती मे आने वाली समस्या जैसे खरपतवार नियंत्रण, चना में लगने वाले फली छेदक कीट के लिए प्रोफेनोफोस 750 एमएल एवं नीम का तेल 750 एमएल को 600 लीटर पानी में घोल बनाकर के फूल आने के पहले छिड़काव करने से इस कीट का नियंत्रण हो जाता है। उन्होंने अन्य फसलों में लगने वाले कीट एवं पौध रोग के समाधान के बारे में भी किसानों को बताया।

ई. रवि रंजन कुमार ने किसानों को हार्वेस्टर से धान के फसल की कटाई के बाद फसल अवशेष प्रबंधन के साथ ही आगामी फसलों की बिना विलम्ब किए हुए फसलों की बुआई मे उपयोग किए जाने वाले फार्म मशीनरीकरण जैसे ज़ीरो टिलेज, हैप्पी सीडर, राइस व्हीट सीडर मशीन के प्रयोग की विधिवत जानकारी दी तथा उन्होंने कहा कि अब बिना मशीनीकरण के खेती संभव नही है।

इस कार्यक्रम का संचालन कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ अनूप कुमार चौबे ने किया एवं किसानों को जलवायु परिवर्तन के बारे मे विधिवत जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि आए दिन हम देख रहे हैं कि औसत वर्षा तो हो रही है पर वर्षा दिवस में कमी आ रही है। एक ही दिन में अधिक बारिश का होना, बारिश के बीच में अधिक अंतराल का होना और बेमौसम बारिश का होना तथा तापमान में वृद्धि होने से फसल का अवधि से पहले ही पक जा रही है (जिससे दाने का सही विकास नही हो पाता है) और अंततः उत्पादन में कमी आ रही है।

उन्होंने किसानों को मौसम पूर्वनुमान के बारे में भी विधिवत जानकारी दी। इससे किसानों को आने वाले अगले पाँच दिनों की मौसम पूर्वानुमान के जानकारी के साथ साथ खेती की सम्पूर्ण जानकारी हर समय उनको मिलती रहेगी।

कार्यक्रम में ओबरा प्रखण्ड के विभिन्न पंचायतों से 100 किसानों ने भाग लिया एवं किसान सलाहकार नीरज कुमार एवं कृषि तकनीकी प्रबंधक अमित कुमार एवं केन्द्र के सभी वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

Source: Aurangabad Now

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