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सिटीजन रिपोर्टर
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वाहन चेकिंग के दौरान पुलिस के द्वारा नागरिकों से अक्सर दुर्व्यवहार की खबर सामने आती है। सही पेपर ना होने की स्थिति में पुलिस वालों के द्वारा अवैध वसूली के लिए नागरिकों को प्रताड़ित करने की खबर भी आम है। लेकिन हमारा सवाल है कि ये कानूनी रूप से कितना जायज है? पुलिस-प्रशासन इन आम मुद्दों पर नैतिकता क्यों नहीं दिखाती है?
औरंगाबाद जिले में भी कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक दारोगा जी का वीडियो खूब वायरल है जिसमें वो एक बाइक सवार के साथ दुर्व्यवहार करते नज़र आ रहें हैं। (औरंगाबाद नाउ इस वायरल वीडियो की पुष्टि नहीं करता है।)
औरंगाबाद जिले के एक दरोगा जी का वीडियो खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया पर यह वीडियो औरंगाबाद के मंझौली मोड़ का बताया जा रहा है और वीडियो में गाली गलौज करते हुए नज़र आ रहे दारोगा जी पौथू थाने में पदस्थापित हैं।
वीडियो में दारोगा जी एक बाइक चालक को चेकिंग के दौरान पकड़कर खूब अपनी वर्दी का धौंस जमा रहे है गाली गलौज के साथ उसकी पिटाई करते भी नज़र आ रहे हैं। फाइन के रूप में उनके द्वारा 25 हजार रुपये की डिमांड भी की जा रही है और बाइक का चाभी भी उनके द्वारा लेते हुए वीडियो में देखा जा सकता है। दारोगा जी का नाम एन. के. मंडल बताया जा रहा है।
हालांकि ये घटना कब की है अब तक पता नहीं चल पाया है। सोशल मीडिया में यह वायरल होने के बाद लोग आक्रोशित हैं। कहा जा रहा है कि इस मुद्दे पर जिले के SP श्री कांतेश कुमार मिश्र ने जांच के आदेश दे दिए हैं।
वाहन चेकिंग के दौरान गाड़ी की चाभी निकालने के संबंध जिले के प्रसिद्ध अधिवक्ता व RTI एक्टिविस्ट श्री देवकांत कुमार जी ने जिले के पुलिस अधीक्षक से लोक सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के जरिये जानकारी मांगी थी।
जवाब में ये बताया गया कि वाहन मालिक के संदिग्ध होने की स्थिति में किसी अनहोनी घटना से बचने के लिए सुरक्षा की दृष्टिकोण से चाभी की मांग की जाती है। साथ ही साथ जांच के क्रम में मानवीय मूल्यों का भी ध्यान रखा जाता है।
Image: RTI के जवाब की कॉपी (निजी जानकारी को छुपा दिया गया है)
फिलहाल औरंगाबाद वाले दारोगा जी के वायरल वीडियो में मानवीय मूल्यों का ध्यान रखा हुआ कहीं से नज़र नहीं आ रहा है। अब पूरा मामला क्या था और कौन दोषी था जांच के उपरांत ही सामने आ सकता है।
Source: Aurangabad Now