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सिटीजन रिपोर्टर
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कोरोना और शीतलहर को देखते हुए राज्य में सारे सरकारी और गैर-सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में बंदी कर दी गयी है लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने का ख्याल किसी को नहीं आया। बता दें कि आंगनबाड़ी केंद्रों में सरकार के द्वारा 3 से 6 वर्ष के बच्चों को प्री-स्कूली शिक्षा और वर्ष में 300 दिनों के पोषण की निःशुल्क व्यवस्था की जाती है।
जहां जिले में शीतलहर और प्रतिदिन कोरोना के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है उस दौरान भी आंगनबाड़ी बंद ना हो पाने की वजह से भीषण ठंड में छोटे बच्चों को आंगनबाड़ी केंद्र पर आना पड़ रहा है। दिनांक 04-01-2021 को गृह विभाग के आदेश (आदेश संख्या जी/आपदा/06-02/2020-38) में भी आंगनबाड़ी केंद्रों को बंद करने से संबंधित स्पष्ट आदेश नहीं हैं। अगर इसके पूर्व की बात भी करें तो शीतलहर के कारण जिला पदाधिकारी के द्वारा स्कूलों को बंद करने वाले आदेश में भी आंगनबाड़ी का जिक्र नहीं था।
गरीब परिवार से आने वाले बच्चों को उनके अभिभावक बिना गर्म कपड़ों के ही आंगनबाड़ी केंद्रों में भेज देते हैं जिससे उनके बीमार होने का भी खतरा बना रहता है। बड़े अधिकारियों की औचक जांच की भय से केंद्र की सेविका और सहायिका उन बच्चों को वापिस घर भी नहीं भेज पाती हैं।
समेकित बाल विकास सेवाएं (ICDS) के तहत संचालित इन आंगनबाड़ी केंद्रों के जरिये वर्ष में 300 दिन पोषण देने का लक्ष्य रखा गया है। यदि केंद्रों को बंद किया जाता है तो बच्चों के पोषण पर असर पड़ सकता है।
कोरोना की पहली लहर के दौरान Lockdown में आंगनबाड़ी केंद्रो के बच्चों को सूखा राशन देने की व्यवस्था की गई थी। सरकार या प्रशासन चाहे तो इसी योजना को फिर से लागू करके आंगनबाड़ी केंद्रों में पठन-पाठन को स्थगित करने का आदेश दे सकती है।
मदनपुर की सीडीपीओ मंजू कुमारी बताती^ हैं कि विभाग से पठन-पाठन को स्थगित करने से संबंधित कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हैं। जिला से निर्देश प्राप्त होने के बाद अग्रेत्तर पहल की जाएगी।
^प्रभात ख़बर की रिपोर्ट के अनुसार
Source: Aurangabad Now