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साल का पहला कंकणावृति सूर्यग्रहण औरंगाबाद में नहीं दिखेगा, सूतक दोष भी नहीं

कल (10 जून) को इस साल का पहला सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। जानकारी के लिए पूरी खबर को पढ़िए

सत्यम मिश्रा

सत्यम मिश्रा

औरंगाबाद, Jun 09, 2021 (अपडेटेड Jun 09, 2021 5:54 PM बजे)

10 जून को इस साल (2021) का पहला सूर्यग्रहण लगने जा रहा है। भारतीय समयानुसार सुबह 11:42 बजे आंशिक सूर्य ग्रहण होगा और यह दोपहर 3:30 बजे से वलयाकार रूप लेना शुरू करेगा। इसके बाद फिर शाम 4:52 बजे तक आकाश में सूर्य अंगूठी की तरह दिखाई देगा और शाम में लगभग 6:41 बजे समाप्त होगा। इस सूर्यग्रहण को भारत में सिर्फ लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में ही थोड़ी देर के लिए देखा जा सकेगा।

Photo Source: timeanddate.com

नासा के अनुसार, सूर्य ग्रहण रूस, कनाडा और ग्रीनलैंड के कुछ हिस्सों से दिखाई देगा। इसे सबसे पहले उत्तरी ओंटारियो और लेक सुपीरियर के उत्तर की ओर लगभग तीन मिनट तक देखा जाएगा। अपने चरम पर ग्रीनलैंड से ये अंगूठी की तरह (Ring Of Fire) दिखाई देगा। साइबेरिया और उत्तरी ध्रुव में स्काई गेजर्स भी इस दुर्लभ घटना को देखेंगे, जबकि यूरोप, उत्तरी अमेरिका और एशिया के कुछ देशों में आंशिक सूर्य ग्रहण होगा।

चूंकि इसे भारत के अधिकांश इलाकों से देखना संभव नहीं होगा अतः ज्योतिषाचार्यों के अनुसार भारत में सूतक नहीं माना जायेगा। कल (10 जून को) ही वटसावित्री की पूजा भी है जिसे करने में भी कोई दोष नहीं होगा।

कैसे और कब लगता है सूर्यग्रहण?

सूर्य ग्रहण अमावस्या को ही होता है। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आ जाता है तो चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने से पृथ्वी के उस भाग में सूर्य का कुछ अंश अथवा पूर्ण सूर्य दिखाई नही देता है इसी को सूर्यग्रहण (Solar Eclipse) कहते हैं।

चंद्रमा गोल होने से उसकी छाया अंडाकार पड़ती है, तथा चंद्रमा पृथ्वी से छोटा होने के कारण उसकी छाया भी छोटी ही होती है जिसके कारण वह छाया सम्पूर्ण पृथ्वी को नही ढक पाती है।

इस छाया के भी दो भाग हैं

  • प्रच्छाया
  • उपच्छाया

जब पृथ्वी इसके प्रच्छाया में प्रवेश करती है तो पूर्ण सूर्यग्रहण (Total Eclipse) होता है। इसे ही खग्रास सूर्यग्रहण कहा जाता है।

किंतु जब पृथ्वी उपच्छाया में प्रवेश कर निकलती है तब आंशिक सूर्यग्रहण (Partial Eclipse) अथवा खंडग्रास सूर्यग्रहण होता है।

चूंकि चंद्रमा की छाया सम्पूर्ण पृथ्वी को कभी भी नही ढंक सकती है इसलिए पृथ्वी के सभी स्थानों एक साथ पर सूर्यग्रहण नहीं हो सकता है।

पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी भी सदा समान नहीं रहती है। जब यह दूरी अधिक हो जाती है और उस समय यदि पूर्ण सूर्य ग्रहण हो तो भी चंद्रमा पूरे सूर्य को नही ढक पाता और चूड़ी (Ring) जैसी आकृति का दिखाई देती है। इसे ही वलय सूर्यग्रहण(Annular Eclipse), सूक्ष्म ग्रहण अथवा कंकणावृति सूर्यग्रहण भी कहा जाता है।

Source: Aurangabad Now

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