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औरंगाबाद: अब 100 रुपये में पूरे 1 लीटर भी नहीं मिल रहा पेट्रोल, डीज़ल भी ₹95 के पार

पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रहीं हैं। एक भी दिन ऐसा नहीं गुजर रहा जब पेट्रोलियम की कीमतों में वृद्धि ना हुई हो। पढ़िए ये खास रिपोर्ट

सत्यम मिश्रा

सत्यम मिश्रा

औरंगाबाद, Jun 29, 2021 (अपडेटेड Jun 29, 2021 8:09 PM बजे)

स्टोरी हाइलाइट्स

जिले में पेट्रोल का दाम 100 रुपये को पार कर गया है।

पेट्रोलियम की कीमतों में उछाल लगातार जारी है।

भारी भरकम टैक्स की वजह से पेट्रोल अपने बेस प्राइस के लगभग 3 गुना दाम पर बिक रहा है।

पेट्रोल और डीज़ल की कीमतों में बेतहाशा हो रही वृद्धि लगातार जारी है। जिले में आज पेट्रोल ₹102.25 और डीज़ल ₹95.87 प्रति लीटर बिक रहा है। जहाँ कोरोना की वजह से लोगों के आय में कमी आयी है वहीं पेट्रोलियम प्रोडक्ट की लगातार बढ़ती कीमतें खुदरा महंगाई में और आग लगाने का काम कर रही हैं। सरकार भी इस मुद्दे पर फिलहाल आम लोगों को राहत देने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है।


पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमतों से आम इस्तेमाल की वस्तुएं हो रहीं हैं महंगी

पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से सिर्फ यात्रा करना ही महंगा नहीं हुआ है बल्कि इसकी वजह से आम जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजों के दाम भी बढ़ गए हैं। इसकी वजह से दूसरे जिले और राज्यों से आयात होने वाली फल- सब्जियाँ, अनाज़ आदि के दामों में भी वृद्धि साफ देखी जा सकती है।


औरंगाबाद में अधिकांश वस्तुओं का आयात नेशनल हाइवे के जरिये सड़क मार्ग से होता है। डीजल की बढ़ती हुई कीमतों से ढुलाई का खर्च काफ़ी बढ़ गया है। बड़ी बड़ी कंपनियाँ भी इस बढ़े हुए ढुलाई का खर्च आम आदमी के कंधों पर ही डाल रहीं हैं। आटा, चावल, तेल समेत हर तरह की जरूरी इस्तेमाल की चीजों के दाम बढ़ते हुए ही दिख रहे हैं।

टेम्पू और बसों का किराया बढ़ गया है

पेट्रोल और डीज़ल की बढ़ती कीमत और सरकारी गाइडलाइंस में 50% क्षमता के साथ परिचालन की आड़ में टेम्पू और बस चालकों ने लोकल किराया बढ़ा दिया है। उदाहरण के लिए पहले औरंगाबाद से बारुण तक बस का किराया 25 रुपया था वहीं अब इसी दूरी के लिए यात्रियों से 40 रुपये तक लिया जा रहा है।

लंबी दूरी की बस सेवाओं के लिए भी यात्रियों से अधिक किराया वसूला जा रहा है। औरंगाबाद से पटना, रांची, धनबाद, छत्तीसगढ़, वाराणसी, कोलकाता, दिल्ली आदि जैसे बड़े शहरों के लिए बस सेवाएं उपलब्ध हैं। इस रूट पर कम संख्या में ट्रेनों के परिचालन की वजह से लोग बसों में यात्रा करने को मजबूर हैं।

तेल के इस महंगे अंकगणित को आसान भाषा में समझ लीजिए

दुनिया भर में 160 किस्म के कच्चे तेल का कारोबार होता है। यह उनके density से लेकर लिक्विडिटी के स्तर पर निर्भर करता है। ज्यादातर कच्चे तेल अपने भौगोलिक नामों जैसे ब्रेंट क्रूड, ओमान क्रूड, दुबई क्रूड से पहचाने जाते हैं। लाइवमिन्ट में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कच्चा तेल आयातक देश है। अपनी कुल जरूरत का लगभग 84% पेट्रोलियम क्रूड ऑयल भारत दूसरे देशों (अधिकांशतः ओपेक देशों) से आयात करता है। भारत में लगीं तेल रिफाइनरियों में इस आयातित क्रूड ऑयल को रिफाइन करके इसे पेट्रोल, डीज़ल, केरोसिन आदि रूपों में देश में बेचा जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल की खरीद लीटर में नहीं बल्कि बैरल में किया जाता है। (अपने औरंगाबाद की भाषा में बैरल 159 लीटर क्षमता का एक ड्राम होता है।) अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों के दाम (भारत में ब्रेंट, क्रूड, ओमान क्रूड, दुबई क्रूड आदि) के अनुसार क्रुड आयल प्रति बैरल का भुगतान अमेरिकी डॉलर करेंसी में किया जाता है।

भारत में कैसे तय होता है पेट्रोलियम का दाम

UPA सरकार ने 2010 में पेट्रोल के प्राइस को नियंत्रण मुक्त कर दिया था। वहीं NDA की सरकार ने 2014 में डीज़ल के प्राइस को नियंत्रण मुक्त कर दिया था। उसके बाद से अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कच्चे तेल के दाम के हिसाब से देश में पेट्रोलियम के दाम बढ़ते या घटते हैं। आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं-

16 जून को दिल्ली में पेट्रोल का दाम 96.66 रुपये प्रति लीटर था। IOCL (Indian Oil Corporation Limited) के अनुसार दिल्ली में 16 जून को पेट्रोल का बेस प्राइस (क्रूड ऑयल डॉलर प्रति बैरल से रुपये प्रति लीटर में बदलने के बाद का मूल्य - इसमें करेंसी कंवर्जन चार्ज भी शामिल है) ₹37.29/लीटर था। कच्चे तेल को लाने का खर्च (Frieght Cost) = ₹0.37/लीटर

अतः बिना टैक्स लगाए ये प्राइस ₹37.65/लीटर हो गया। अब इसमें भारत सरकार का एक्साइज ड्यूटी ₹32.9/लीटर, डीलर का कमीशन ₹3.80/लीटर, राज्य सरकार का वैट+अन्य लागत ₹22.31/लीटर भी लगाया जाता है। इन सबको जोड़ने पर टोटल प्राइस ₹96.66/लीटर हो जाता है।


इसमें लगने वाले भारी भरकम टैक्स की वजह से पेट्रोल अपने लागत मूल्य से लगभग 3 गुना दाम पर लोगों को बेचा जा रहा है।

2014 के बाद से अबतक 10 गुना से ज्यादा बढ़ गयी एक्साइज ड्यूटी

साल 2014 की बात करें जब बीजेपी सरकार में आई थी तब पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए प्रति लीटर थी, जो कि अब 32 रुपए से ज्यादा है। वहीं डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 3.56 रुपए प्रति लीटर थी जो कि बढ़कर 31 रुपए से ज्यादा हो गई है। यानी कि मोदी सरकार के कार्यकाल में पेट्रोल पर तीन गुना से ज्यादा उत्पाद शुल्क बढ़ाया गया है जबकि डीजल पर 10 गुना से ज्यादा एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई है।

कोरोना के समय जब क्रूड ऑयल का दाम अपने निचले स्तर पर चला गया था तब सरकार ने एक्ससाइज ड्यूटी और रोड सेस में भारी बढ़ोतरी की थी। लेकिन अब अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में तेल की कीमतें धीरे धीरे बढ़ रहीं हैं जिससे पेट्रोलियम के दाम भारत में भी काफी ऊंचे लेवल पर चले गए हैं।

औरंगाबाद नाउ सरकार से अनुरोध करता है कि जबतक फ्लेक्सी फ्यूल, एथेनॉल फ्यूल या इलेक्ट्रिक के विकल्प बाज़ार में नहीं आ जाते हैं तबतक वो पेट्रोलियम पर लग रहे टैक्स को कम करके आम जनता को राहत पहुंचाए।

आप इस विषय पर क्या सोचते हैं? आप अपने विचार हमें नीचे कमेंट बॉक्स या हमारे सोशल मीडिया पेज पर भी दे सकते हैं।

Source: Aurangabad Now

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