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सिटीजन रिपोर्टर
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एम्फोटेरिसिन (Amphotericin) का इंजेक्शन ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए जीवनरक्षक साबित हो रहा है। ये एक एंटी-फंगल इंजेक्शन है, जो शरीर में फंगस की ग्रोथ को रोक देता है। इस इंजेक्शन से संक्रमण बढ़ने का खतरा खत्म हो जाता है। ये इंजेक्शन मरीज को रोजाना लगाने की जरूरत पड़ती है और 15-20 दिन तक इस इंजेक्शन की डोज देने पड़ती है लेकिन अब इस इंजेक्शन का मिलना मुश्किल होता जा रहा है।
अगर इस इंजेक्शन को देने में देरी हो गयी और संक्रमण आंखों तक चला गया तो मरीज की आंख भी निकालनी पड़ सकती है या विषम केस में जान भी जा सकती है।
इस इंजेक्शन की कमी का आलम आप इसी से लगा सकते हैं कि मेजर दवा डिलीवरी एप्प जैसे 1mg, फार्मइजी आदि पर भी ये उपलब्ध नहीं है।
चूंकि पहले पूरे साल में लगभग 1000 केस तक आने वाली इस बीमारी के लिए कंपनियां भी अपना उत्पादन सीमित रखती थीं लेकिन अब इसकी मांग काफी बढ़ गयी है।
सरकार ने आज जोर देकर कहा कि म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी की कमी को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा। रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि तीन दिनों के भीतर, मौजूदा छह फार्मा कंपनियों के अलावा, पांच और फार्मा कंपनियों को भारत में एम्फोटेरिसिन-बी के उत्पादन के लिए नई दवा स्वीकृति मिली है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा फार्मा कंपनियों ने पहले ही उत्पादन बढ़ाना शुरू कर दिया है। मंत्री ने बताया कि भारतीय कंपनियों ने एम्फोटेरिसिन-बी की छह लाख शीशियों के आयात के ऑर्डर भी दे दिए हैं।
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Source: Aurangabad Now